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कुण्डलपुर में आज- 27 रथों द्वारा 7 फेरी। उमड़ा जन सैलाब-आत्मा के स्वरूप को पहचान कर कल्याण के मार्ग पर चलने का प्रयास करें- आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज दमोह। कुण्डलपुर महामहोत्सव में पंचकल्याणक के अंतिम दिन 24 तीर्थंकर भगवान को मोक्ष कल्याणक महोत्सव पर भक्तों को दिव्य देशना प्रदान करते हुए संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा कि आप लोग जीव की पहचान शरीर की अवस्था में देखकर ही कर लेते हैं, शरीरातीत अवस्था का हम विचार ही नहीं करते,क्या वह स्वरूप होगा पहले सोचो उसमें कुछ सुगंधित पदार्थ है, अन्य योग भी हो सकते हैं उसमें से कुछ स्पर्श ज्ञान हो गया, सुगंधी आई तो नासिका में चली गई, गंध का बोध हो गया देख रहे हैं,आंखों से दिख रहा है, पीला पीला वर्ण का है जो तेरे मन के द्वारा इन चारों गुणों का इंद्रियों के माध्यम से ज्ञात हो गया है ,भैया यह बताओ उसका स्वाद कैसा आया छूने से तो स्वाद नहीं आया सूंघने से भी स्वाद नहीं आया और सुनने से भी स्वाद नहीं आया अब कौन सा रह गया महाराज हमें तो स्वाद बता दो स्वाद कहां से आएगा, भैया ऐसे ही सिद्ध परमेष्ठी का स्वाद किसी को भी नहीं आता केवल जब शरीरातील होगा तब स्वाद आएगा ऐसा आत्मा का स्वरूप है हम आत्मा के स्वरूप की बात तो करते हैं ,स्वरूप से बात नहीं करते बात करने की नहीं है किंतु उसका अनुभव करने की बात है प्रवचन शास्त्र में आचार्य कुंदकुंद देव ने इस स्वरूप का विवेचन किया है,अरिहंत परमेष्ठी आदि क्या करते हैं ,अरहंत परमेष्ठी वाना से रहित हो गए क्योंकि अंतराय कर्म की बात समाप्त हो गई बे क्या करते हैं, एकमात्र परमसुख का ध्यान करते हैं जब महाराज अनंत हो गया उन्हें उपलब्ध कौन से सुख का ध्यान करते हैं, अब उनको ध्यान करने की क्या आवश्यकता है नहीं अरहंत परमेष्ठी होने के उपरांत भी वे स्वास्थ नहीं हुए हैं महाराज, पर दवाएं खाएंगे नहीं ना दवाई से, ना हवा से ,ना दुआ से वह तो एक मात्र स्वयंभुवा से ही स्वस्थ होंगे फिर सोचा की अनंत चतुष्टय के बाद भी कुछ भ्रांतियां विद्यमान है, मंजिल से जुड़ा हुआ जीना रहता है लेकिन जीना जीना रहता है मंजिल नहीं रहती आपने खरीदा कोई महाप्रसाद और सीढियों के ऊपर से जा रहे हैं जा रहे हैं मार्ग क्या वस्तु है यही समझ में आ पाता है किंतु ऊपर पहुंचाने के लिए सीढियां होती है, किंतु सीढ़ियां तो मंजिल से बाहर ही रहती है, मार्ग हमेशा हमेशा मार्ग रहता है आप लोगों ने वर्षों से यह सपना देखा है ,अतीत की उन खामियों में भी गए होंगे आपने अनागत की ऊंचाइयों की ओर भी मन को दौड़ाया होगा वह दिन वह घड़ी वह क्षण कब प्राप्त होगा, बड़े बाबा का पंचकल्याणक महोत्सव इन सब घाटियों से हटकर के तब वह होगा बोलो हो चुका है हमें भी शुरू करना हमें भी स्वरूप प्राप्त करना है, अभी मैं सुन रहा था बोलियां चढ़ती चढ़ती रुक जाती है बोलियां चढ़ती चढ़ती रुक जाती हैं मैं सोच रहा था इनको चाबी नहीं मिल रही होगी या चाबी मिलने के बाद भी ताला खुल नहीं रहा होगा कभी कभी बहुत सारी चाबियां रहती है, तो ताला खोल नहीं सकते, प्रतिक्रमण पाठ में हमें पढ़ने को उपलब्ध होता है सभी ग्रंथियों को मैं छोड़ देता हूं निरग्रंथ अवस्था को प्राप्त करता हूं, इसके उपरांत मैं वस्त्र को छोड़ देता हूं और दिगंबरत्व को स्वीकार करता हूं महाराज दिगंबर अवस्था को प्राप्त कर गए, अभी यह शरीर यदि है तो उसे व्यर्थ ही जोड़ रखा है एक उढा़ हुआ वस्त्र उतार देना दूसरा वस्त्र पहन लेना किंतु शरीर ही जब वस्त्र है तो आज वह दिगंबर तो प्राप्त हुआ जो सिद्ध परमेष्ठी को प्राप्त हुआ है ,अरिहंत परमेष्ठी भी अभी शरीर को ओढ़ कर रखे हैं आज निर्वाण कल्याणक यहां कुण्डलपुर में मनाया गया है, किंतु भगवान की अनुपस्थिति में मनाया गया है सब कल्याण शरीर सहित रहते थे तो उसी को हम लोग देख रहे थे, लेकिन जब प्राण आयु समाप्त हुआ सिद्ध बनने के उपरांत ही वे पूज्यनीय हुए। देवाविदेव 1008 भगवान आदिनाथ बड़े बाबा की पावन धरा कुण्डलपुर मे जिनबिम्ब पंचकल्याणक महामहोत्सव के सानंद समापन संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आर्शीवाद और स संघ सनिध्य में सिद्ध तीर्थ क्षेत्र कुण्डलपुर में 27 गजरथ द्वारा 9 फेरी के साथ संपन्न हुआ। एक किलोमीटर का एक फेरा जिसमें आगे आगे गुरुदेव फिर महापात्र रथ पर सवार होकर नमोकर महामंत्र का जाप कर रहे थे, जगह-जगह बैंड बाजों की स्वर लहरियों ने शोभा यात्रा में चल रहे जन समुदाय को नाचने पर मजबूर कर दिया। हजारों की संख्या में सड़क के दोनों तरफ उपस्थित श्रावक श्राविका एवं जन समुदाय जय जयकारें लगाते हुए जुलूस में चलते हुए भक्तों का उत्साह वर्धन कर रहे थे, णमोकार के मंत्र की जाप कर रहे। दिव्य घोष, बालिका मंडल की प्रस्तुति सभी श्रद्धालु थिरकते नजर आए। जैन धर्म की झांकियां, क्षेत्रीय समूह नृत्य, जिनशासन प्रभावना, मंत्रोच्चार शुद्धि, नगर शुद्धि करती हुई सौभाग्यवती महिलाएं, लोकांत्रिक देवो द्वारा आह्वान, कमल पर श्री जी का विहारकराती हुई देवियां, 01 स्वर्ण रथ, 06रजत रथ, 20 काष्ठ रथ के द्वारा 9 फेरी आकर्षण का केंद्र बनी। संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज आगे आगे चल रहे थे और उनके पीछे मुनिसंघ, आर्यिका माताजी का सानिध्य मे महाआकर्षक भव्य गजरथ, देश में प्रथम बार ऐतिहासिक, भव्य, अलौकिक प्रभावना करती हुई विशाल शोभायात्रा निकली। समारोह के मुख्य आकर्षण का केन्द्र यह रहे तीर्थ क्षैत्र मे 10 दिवसीय जिन बिम्ब पंचकल्याणक महामहोत्सव से धर्म की आराधना हुई, मंत्रो से यह पवित्र धरा गुजांयमान रही, लगभग 500 एकड़ क्षैत्रफल में फेले अतिभव्य समारोह सानंद सम्पन्न हुआ। इस अनुठे आयोजन मे समय समय पर अथितियो ने आकर भगवान बड़े बाबा की पूजन किया और छोटे बाबा का आर्शीवाद प्राप्त किया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, पीयूष गोयल, प्रहलाद सिंह पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह,पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, प्रदेश सरकार के मंत्री गोपाल भार्गव,ओम प्रकाश सकलेचा, गोविन्द सिंह राजपूत, तुलसी सिलावट, पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया, लखन घनघोरिया, समाज सेवी एवं उद्योगपति अशोक पाटनी, केविनेट दर्जा प्राप्त राहुल सिंह, प्रदुम्न सिंह, दमोह विधायक अजय टंडन, जबेरा विधायक धर्मेन्द्र सिंह, हटा विधायक पी एल तंतुवाय, जिला पंचायत अध्यक्ष शिव चरण पटेल, भाजपा जिला अध्यक्ष एड प्रीतम सिंह,कांग्रेस जिला अध्यक्ष मनु मिश्रा सहित कई हस्तियां शामिल हुई, महोत्सव क्षैत्र में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने प्रथम फेरी से सहभागी बनकर सौभाग्य प्राप्त किया और दमोह विधायक अजय टंडन ने खुद टैक्टर चलाकर गजरथ महोत्सव में फेरी पूर्ण की। कुण्डलपुर महामहोत्सव समिति, कुण्डलपुर कमेटी ने मध्यप्रदेश सरकार, जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, सभी श्रद्धालु, समिति प्रभारियों, सभी कर्मठ कार्यकर्तागण का आभार अध्यक्ष संतोष सिंघई, सावन सिंघई, देवेन्द्र सेठ, वीरेन्द्र बजाज, नवीन निराला, प्रशासनिक समिती प्रभारी नरेन्द्र बजाज, सुरक्षा प्रभारी नरेन्द्र बजाज, बाजार प्रभारी प्रभात सेठ, इलेक्ट्रोनिक मीडिया प्रभारी अटल राजेंद्र जैन, प्रिंट मीडिया प्रभारी महेन्द्र जैन, जयकुमार जलज, मानव बजाज, सोनू नेता, मनीष आउटलुक , गजरथ फेरी प्रभारी सुनील सुनील डबुल्या, सुनील जबेरा, मंटू जैन ने माना। आज से होगा बड़े बाबा का महामस्तकाभिषेक इस सदी के सबसे बड़े पंचकल्याणक के सफ़ल आयोजन के सम्पन्न होने के साथ ही 24 फरवरी से संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के ससंघ सनिध्य में शुभारंभ होगा, जिसमे देश विदेश के श्रद्धालुओ के पहुंचने की सम्भावना है